छांगुर बाबा पर कश्मीर जैसी होनी चाहिए कार्रवाई,हमदर्दों का भी इलाज जरूरी: धनंजय सिंह 


छांगुर बाबा पर कश्मीर जैसी होनी चाहिए कार्रवाई,हमदर्दों का भी इलाज जरूरी: धनंजय सिंह 

धनंजय सिंह | 16 Jul 2025

 

लखनऊ।देश में आतंकी गतिविधियों के लिए सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला जम्मू-कश्मीर है।अगस्त 2020 से 3 जून 2025 तक जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 75 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को आतंकी संगठनों से संबंध या ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में काम करने के आरोप में बर्खास्त किया है।यह जानकारी 3 जून 2025 की खबरों में स्पष्ट रूप से दी गई है, जिसमें लिखा है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 311(2)(C) के तहत इन कर्मचारियों को निकाला जा चुका है। यह कार्रवाई आतंकवाद विरोधी अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।इन सभी कर्मचारियों को आतंकियों का सिम्पेथाइज़र मानकर सरकार ने कार्यवाही की थी।ऐसे में यह घटना आजकल चर्चा में चल रहे छांगुर बाबा गिरोह से जोड़कर देखने की जरूत है कि क्या अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जो प्रखर हिंदुत्व की छवि वाली सरकार है,वह भी छांगुर बाबा और छांगुर जैसे और भी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त अपराधियों के इको सिस्टम को तोड़ने के लिए कुछ ऐसे कड़े कदम उठाएगी।बता दें कि भारतीयों ने मुगल हुकूमत से लेकर ब्रिटिश शासन में मिशनरियों प्रलोभन तक धर्म परिवर्तन के नए-नए जाल देखे हैं,इसे झेला है,अब छांगुर बाबा जैसे लोगों के पूरे गिरोह का सफाया करने की जरूरत है,इसके लिए कश्मीर मॉडल को अपनाने की जरूरत है।

ऐसे धर्म परिवर्तन से होने वाले राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के खतरे को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने 2024 में ही धर्म परिवर्तन के खिलाफ चले आ रहे पुराने क़ानून को संशोधित कर बहुत ही कड़े प्रावधानों के साथ लागू किया।छांगुर बाबा जैसे लोगों द्वारा चलाया जा रहा धर्म परिवर्तन का खेल केवल व्यक्तिगत आस्था का विषय नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक एकता को तोड़ने का रास्ता बन चुका है।परिवार टूटते हैं,गांवों में वैमनस्य उत्पन्न होता है। धर्म परिवर्तन का एक सच यह भी है कि इसके पीछे राजनीतिक लक्ष्य छिपे होते हैं। संख्या बल बढ़ाकर लोकल वोट बैंक बनाना।केरल,बिहार बंगाल समेत कई राज्य इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।कई बार ये नव-धर्मांतरित समुदाय विदेशी एजेंडे बनकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं।सीरिया और आईएसआई में काम करने लगते हैं,इससे राष्ट्रीय एकता को बहुत बड़ा खतरा होता है।छांगुर बाबा जैसे न जाने कितने लोग आज भी समाज में धर्म परिवर्तन करा रहे हैं,इसलिए आवश्यक है कि सियासत से परे इसे एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या के रूप में लिया जाना चाहिए।

जोमो केन्याटा केन्याई उपनिवेशवाद विरोधी कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थे,उन्होंने 1963 से 1964 तक केन्या के प्रधानमंत्री रहे।फिर 1964 से 1978 में अपनी मृत्यु तक राष्ट्रपति रहे।जोमो केन्याटा देश के पहले स्वदेशी प्रमुख थे और केन्या के स्वतंत्र गणराज्य बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। केन्याटा ने अपनी आत्मकथा में धर्म परिवर्तन की समस्या पर लिखा कि जब ब्रिटिश साम्राज्य केन्या आया तो हमारे पास जमीन थी और उनके हाथ में बाइबिल,लेकिन उनके जाते समय हमारे हाथ में बाइबिल थी और उनके पास हमारी ज़मीन।यही हाल भारत में भी था।मुगलकाल से लेकर ब्रिटिश शासन तक भारत इस कुकृत्य का साक्षी रहा है।मुगलकालीन औरंगजेब सरीखे बहुत सारे बादशाह के जबरन धर्म परिवर्तन के साक्ष्यों से लेकर ब्रिटिश शासन में मिशनरियों प्रलोभन वाले धर्मांतरण तक भारत ने इस समस्या को झेला है।

फ्रांस में डायचे वेले की टेरर फंडिंग पर एक बहुत चर्चित डॉक्यूमेंट्री बनी।डॉक्यूमेंट्री साल 2021 में रिलीज़ हुई थी और इसमें टेरर फंडिंग नेटवर्क,खासकर पाकिस्तान और आईएसआई की भूमिका को विस्तार से दिखाया गया है।इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि किस प्रकार फ्रांस और पूरा यूरोप पाकिस्तान जनित आतंकवाद से और धर्म परिवर्तन से पीड़ित है।लंदन जैसे शहर इस इस्लामिक धर्म परिवर्तन के प्रतिफल के रूप में देखे जा सकते हैं।ऐसे क्या भारत को इस धर्म परिवर्तन जैसे गंभीर मसले पर फिर से एक नई और अधिक कारगर रणनीति के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है क्योंकि वैश्विक स्तर पर चल रहे इस्लामिक और ईसाई धर्म परिवर्तन के व्यापक अभियान के द्वन्द में भारत को अपने धर्म, अपनी संस्कृति और अपनी राष्ट्रीय अखंडता की सुरक्षा करना दिन ब दिन एक बड़ी चुनौती साबित होती जा रही है।

छांगुर बाबा एक स्वयंभू प्रचारक है,जो उस क्षेत्र के गरीब, अनुसूचित जातियों,आदिवासियों और सीमांत समाजों को आर्थिक सहायता, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के नाम पर प्रलोभन देकर उन्हें धर्म परिवर्तन के जाल में फंसाता था। छांगुर बाबा द्वारा चलाए जा रहे केंद्र,जो धार्मिक केंद्रों के रूप में पंजीकृत हैं,वास्तव में धर्म परिवर्तन,प्रलोभन,मनोवैज्ञानिक और महिलाओं के शारीरिक शोषण के अड्डे हैं।छांगुर बाबा द्वारा संचालित संस्थाएं दिखने में सामाजिक सेवा,महिला कल्याण,शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत हैं,किंतु जांच में पाया गया कि संस्थाओं के ट्रस्टी विदेशी संपर्क में हैं,धार्मिक गतिविधियों का प्रचार-प्रसार चलता है,स्थानीय संस्कृति को अंधविश्वास कहकर युवाओं को उससे विमुख किया जाता है। इन संस्थानों में बच्चों को अपनी मातृभाषा,रीति-रिवाज, पूजा-पद्धति से काटकर एक नई पहचान दी जाती है,जो न केवल अलग है, बल्कि भारत की परंपराओं के विरुद्ध है।

छांगुर गिरोह की धर्म परिवर्तन कराने की गतिविधियां बहुत गोपनीय होती थीं।प्रशासन को धोखे में रखकर बाहरी सहायता (अक्सर विदेशी फंडिंग) से धर्म परिवर्तन कराने का अभियान चलाया जा रहा था।एन‌आईए और यूपी एटीएस की टीम ने इस दृष्टि से भी जांच शुरू कर दी है।जांच के शुरूआती चरण में ही एजेंसियों को इस छांगुर गिरोह के विदेशी खासकर आईएसआई और अन्य आतंकी संगठनों से सम्बन्ध और आर्थिक लेनदेन के सबूत मिल गए।ऐसे में फिर से एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से देश की सुरक्षा से इतना बड़ा समझौता किया जा रहा था। अगर एन‌आईए और यूपी एटीएस की शुरुआती जांच इसी दिशा में तथ्यों के साथ आगे बढ़ती है तो छांगुर गिरोह के इको सिस्टम को खोजना और उन्हें अपनी जांच के फ्रेम में सेट करना एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी।

 एक तरफ योगी सरकार और केंद्र सरकार की सुरक्षा से जुड़ी सभी अहम जांच एजेंसियां छांगुर बाबा और छांगुर गिरोह की तह तक जाने के लिए,इस मामले के नए-नए पहलुओं की तलाश में लगी हैं।वहीं दूसरी तरफ इस धर्म परिवर्तन गिरोह से पीड़ित महिलाओं ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर भी आरोप लगाना शुरू कर दिया है।इन पीड़ित महिलाओं में से एक ने तो बाकायदा मीडिया के सामने यह तक आरोप लगाया कि उसने अपने जबरन धर्म परिवर्तन और ब्लैकमेलिंग के मामले में दो वर्ष पहले ही स्थानीय पुलिस थाने में जाकर एफआईआर लिखाई,पर तत्कालीन थाना अध्यक्ष ने उल्टा उसी महिला पर दबाव बनाकर उसे मुकदमा वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया।ऐसे में यह सवाल लाज़मी है कि क्या छांगुर गिरोह के इस धर्म परिवर्तन के काले कारोबार में स्थानीय पुलिस के कुछ भ्रष्ट अधिकारी भी शामिल थे,अगर हां तो योगी सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वह ऐसे भ्रष्ट अधिकारिओं को कितनी जल्दी और किस हद तक चिन्हित कर पाती है।साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि उन भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर जो इस देश विरोध षड़यंत्र में शामिल थे, सरकार क्या कार्यवाही करती है।

ऐसे में जब इस धर्म परिवर्तन के खेल के जरिए भारत के सांस्कृतिक अवबोध पर प्रहार किया जा रहा है,तब सबसे बड़ा  सवाल यह उठता है कि इस धर्म‌ परिवर्तन के खुले खेल पर योगी सरकार किस प्रकार अंकुश लगा पाती है जबकि यह अत्यंत आवश्यक है कि केंद्र और राज्यों की सरकारों के द्वारा धर्म परिवर्तन विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए। यह भी आवश्यक है कि सरकारें विदेशी फंडिंग वाले एनजीओ की नियमित और गहनता से जांच करें।साथ ही सरकारों को जनजातीय और दलित समुदायों के लिए स्थानीय स्तर पर शिक्षा और सेवा की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे धर्म परिवर्तन गिरोह चल रहे लोगों को किसी की मजबूरी का फायदा उठाने का अवसर ही न मिले।धर्म परिवर्तन में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है कि सरकारें ग्राम पंचायतों को अधिकार दें कि वे अपने क्षेत्र में होने वाले धार्मिक प्रचार की जानकारी दें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर सरकार को रिपोर्ट करना उनका उत्तरदायित्व हो।

ये भी ध्यान देने की बात है कि छांगुर बाबा कोई अकेला व्यक्ति नहीं,वह एक विचारधारा का प्रतिनिधि है,जो भारत को उसकी जड़ों से काटने पर तुली है।यह विचारधारा सेवा के आवरण में छल और लालच का उपयोग कर रही है,इसलिए आज भारत को आवश्यकता है कि वह एकजुट समाज,जागरूक प्रशासन और सतर्क जनता के त्रिसूत्र का निर्माण करे और सबसे बढ़कर - धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर चल रही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के विरुद्ध एक सजग प्रहरी बनकर एक स्वर में विरोध और खंडन करे क्योंकि धर्म रक्षा ही राष्ट्र रक्षा है और धर्मांतरण, राष्ट्र की आत्मा पर प्रहार है।


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